Income Tax Slabs for FY 2023-24 – AY 2024-25
भारत की आयकर प्रणाली प्रगतिशील है, जिसका अर्थ है कि उच्च आय स्तरों के साथ कर की बढ़ती दरें। आयकर स्लैब अलग-अलग आय और आयु वर्गों के लिए लागू दरों को निर्दिष्ट करती हैं जो की मुख्यता उनकी आवासीय स्थिति, आयु और करदाता के प्रकार के आधार पर भिन्न – भिन्न होती हैं।
इस वर्ष अप्रैल से लागू आयकर स्लैब वित्तीय वर्ष (Financial year) 2024-25 के लिए होगा और आकलन वर्ष (Assessment year) 2025-26 होगा।
आयकर का प्रबंधन सरकार के आयकर विभाग द्वारा किया जाता है जिसमे अलग-अलग आयकर स्लैब सिस्टम के आधार पर भिन्न आय श्रेणियों पर अलग-अलग कर दरों से निष्पादित होती हैं। करदाता की आय में वृद्धि , कर में वृद्धि के समानुपातिक होती है।
वित्त अधिनियम, 2020 के माध्यम से आयकर अधिनियम 1961 में धारा 115 बीएसी को शामिल करके एक नई कर व्यवस्था स्थापित की गई है। व्यक्ति और एचयूएफ नई या पुरानी कर व्यवस्था के बीच चयन कर सकते हैं और वित्त वर्ष 2024-25 (Assessment year 2025-26) के लिए स्लैब और दरों के अनुसार लागू आयकर का भुगतान कर सकते हैं। कर निर्धारण वर्ष 2021-22 और उसके बाद से कम दरों पर करों के भुगतान के लिए व्यक्तियों और HUF के लिए यह विकल्प इस शर्त के तहत है कि वे उपलब्ध सामान्य रियायतों का दावा नहीं करते हैं ।
In Short:
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- Income Tax Slabs for FY 2023-24 – AY 2024-25
- वित्त वर्ष 2023-24 और वित्त वर्ष 2024-25 के लिए नई कर व्यवस्था के तहत आयकर स्लैब | New Tax Regime for FY 2023-24, FY 2024-25
- Income Tax Slabs for FY 2023-24 & AY 2024-25 | पुरानी कर व्यवस्था के तहत आयकर स्लैब
- आयकर अधिनियम, 1961 की पुरानी कर व्यवस्था के तहत आयकर स्लैब इस प्रकार हैं
- बजट 2023 में नई कर व्यवस्था में बदलावों की घोषणा क्यों की गई है?
- पुरानी कर व्यवस्था और नई कर व्यवस्था की कर दरों की तुलना
- कंपनियों/व्यवसायों/आदि के लिए आयकर स्लैब
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- घरेलू कंपनियों के लिए
- साझेदारी फर्म या एलएलपी कंपनियों के लिए
- विदेशी कंपनियों के लिए
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- नई कर व्यवस्था के अंतर्गत कौन सी छूट/कटौतियाँ उपलब्ध नहीं हैं?
- नई कर व्यवस्था के अंतर्गत क्या छूट/कटौतियाँ उपलब्ध हैं?
- पुरानी कर व्यवस्था/नई कर व्यवस्था को चुनने के क्या लाभ और नुकसान हैं?
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वित्त वर्ष 2023-24 और वित्त वर्ष 2024-25 के लिए नई कर व्यवस्था के तहत आयकर स्लैब | New Tax Regime for FY 2023-24, FY 2024-25
बजट 2023 में पेश की गई नई कर व्यवस्था से कर पर लगी दरें कम की गयी हैं , जिसके वजह से पुरानी कर व्यवस्था के तहत उपलब्ध अधिकांश कटौती और छूट की अनुमति नए कर व्यवस्था से हटा दी गयी हैं।
आइये जानते हैं वित्त वर्ष 2023-24 या (एवाई – assessment year 2024-25) के तहत नई कर व्यवस्था का आयकर स्लैब-
नई कर व्यवस्था स्लैब
आय की सीमा (रु.) | कर की दर | आयकर अधिनियम |
3,00,000 तक | शून्य | |
3,00,000-6,00,000 | 5% | धारा 87ए के तहत कर छूट |
6,00,000-9,00,000 | 10% | धारा 87ए के तहत 7 लाख रुपये तक कर छूट |
9,00,000-12,00,000 | 15% | |
12,00,000-15,00,000 | 20% | |
15,00,000 से अधिक | 30% |
Income Tax Slabs for FY 2023-24 & AY 2024-25 | पुरानी कर व्यवस्था के तहत आयकर स्लैब
पुरानी कर व्यवस्था करदाताओं को विभिन्न कटौतियों और छूटों का दावा करने की अनुमति देती है जैसे कि हाउस रेंट अलाउंस (HRA), लीव ट्रैवल अलाउंस (LTA), धारा 80C, 80D के तहत कटौती, और बहुत कुछ। आयकर की पुरानी ‘कर’ व्यवस्था को तीन श्रेणियों में बांटा गया है
i. 60 वर्ष से कम आयु के भारतीय निवासी + सभी गैर-निवासी
ii. 60 से 80 वर्ष: निवासी वरिष्ठ नागरिक
iii. 80 वर्ष से अधिक: निवासी सुपर वरिष्ठ नागरिक
आयकर अधिनियम, 1961 की पुरानी कर व्यवस्था के तहत आयकर स्लैब इस प्रकार हैं
भारतीय निवासी व्यक्ति के लिए आयकर दर
पुरानी व्यवस्था | ||||
स्लैब (रु.) | व्यक्ति (आयु < 60 वर्ष) |
निवासी वरिष्ठ नागरिक (≥60 किन्तु <80 वर्ष) |
निवासी अति वरिष्ठ नागरिक (80 वर्ष और उससे अधिक) |
|
2,50,000 तक | शून्य | शून्य | शून्य | |
2,50,001 से 3,00,000 | 5% | शून्य | शून्य | |
3,00,001 से 5,00,000 | 5% | 5% | शून्य | |
5,00,001 से 10,00,000 | 20% | 20% | 20% | |
10,00,000 से ऊपर | 30% | 30% | 30% |
नोट: मूल आयकर के अतिरिक्त, जैसा कि ऊपर चर्चा की गई है, निम्नलिखित बातों का भी ध्यान रखा जाना चाहिए:
(i). अधिभार: यदि किसी करदाता की कुल आय निर्दिष्ट सीमा से अधिक हो तो आयकर की राशि पर निम्नलिखित दरों पर अधिभार लगाया जाता है:-
0 लाख रुपये से 1 करोड़ रुपये तक | रु. 1 करोड़ से रु. 2 करोड़ | रु. 2 करोड़ से रु. 5 करोड़ | 5 करोड़ से अधिक |
10% | 15% | 25% | 37% |
(ii). स्वास्थ्य एवं शिक्षा उपकर : @4%
(iii). धारा 87A के तहत छूट : (नई और पुरानी दोनों कर व्यवस्थाओं में 5 लाख रुपये तक की कुल आय पर कोई कर देय नहीं होगा)। छूट 25,000 रुपये तक की सीमा तक दी जाती है। इस प्रकार, यदि कुल कर (स्वास्थ्य और शिक्षा उपकर को छोड़कर) 25,000 रुपये से कम या उसके बराबर है, तो निवासी व्यक्ति द्वारा पूरी राशि छूट के रूप में दावा – Claim की जा सकती है।
(iv). कुछ आयकर छूट और कटौती : धारा 80C, 80D, 80TTB, HRA आदि जैसी कर छूट पुरानी कर व्यवस्था में उपलब्ध थीं, लेकिन नई कर व्यवस्था में उपलब्ध नहीं होंगी।
बजट 2023 में नई कर व्यवस्था में बदलावों की घोषणा क्यों की गई है?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2023 की घोषणा की थी जिसमे उन्होंने ने वित्त वर्ष 2023-24 और आकलन वर्ष 2024-25 के लिए नई कर व्यवस्था में कई बदलाव किए। यहाँ वित्त वर्ष 2023-24 और आकलन वर्ष 2024-25 के लिए नई कर व्यवस्था को दर्शाने वाले प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं
1. मूल छूट में वृद्धि: नई कर व्यवस्था के अंतर्गत मूल छूट सीमा को बढ़ा दिया गया है जो 2.5 लाख से बढ़कर 3 लाख हो गई है।
2. मानक कटौती: नई व्यवस्था के अंतर्गत वेतनभोगी व्यक्तियों के लिए ₹50,000 की मानक कटौती तथा पारिवारिक पेंशन के लिए ₹15,000 तक की कटौती की शुरुआत की गई है।
3. धारा 87A के तहत छूट: नई कर व्यवस्था के अंतर्गत धारा 87A के तहत छूट को बढ़ा दिया गया है और 7 लाख रुपये तक की आय पर कोई आयकर देय नहीं होगा।
4. डिफ़ॉल्ट कर व्यवस्था: नई कर व्यवस्था अब ‘डिफ़ॉल्ट’ कर व्यवस्था है जिसमे किसी प्रकार के छूट का दावा – Claim करने का कोई विकल्प नहीं है अगर किसी व्यक्ति की आय पर कर लागू होता है तो उसे कर का भुगतान करना होगा। इसके विपरीत करदाता चाहें तो पुरानी कर व्यवस्था का विकल्प भी चुन सकते हैं।
5. अधिभार दर: नई आयकर व्यवस्था के अंतर्गत उच्चतम अधिभार दर 37% से घटाकर 25% कर दी गई है।
पुरानी कर व्यवस्था और नई कर व्यवस्था की कर दरों की तुलना Income Tax Slabs for FY 2023-24 – AY 2024-25
आयकर स्लैब (रु.) | पुरानी कर व्यवस्था वित्त वर्ष 2022-23 (वित्त वर्ष 2023-24) और वित्त वर्ष 2023-24 (वित्त वर्ष 2024-25) | नई कर व्यवस्था (बजट 2023 से पहले) | नई कर व्यवस्था (वित्त वर्ष 2023-24 (वित्त वर्ष 2024-25) के लिए लागू) |
0 – 2,50,000 | – | – | – |
2,50,001 – 3,00,000 | 5% | 5% | – |
3,00,001 – 5,00,000 | 5% | 5% | 5% |
5,00,001 – 6,00,000 | 20% | 10% | 5% |
6,00,001 – 7,50,000 | 20% | 10% | 10% |
7,50,001 – 9,00,000 | 20% | 15% | 10% |
9,00,001 – 10,00,000 | 20% | 15% | 15% |
10,00,001 – 12,00,000 | 30% | 20% | 15% |
12,00,001 – 12,50,000 | 30% | 20% | 20% |
12,50,001 – 15,00,000 | 30% | 25% | 20% |
15,00,000 से अधिक | 30% | 30% | 30% |
Income Tax Slabs for FY 2023-24 – AY 2024-25
कंपनियों/व्यवसायों/आदि के लिए आयकर स्लैब
आइए जानते हैं की नई कर व्यवस्था के तहत वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए कंपनियों और व्यवसायों पर आयकर गढ़ना कैसे होगी।
1. घरेलू कंपनियों के लिए
घरेलू कंपनियों के लिए मानक कॉर्पोरेट कर की दर 3०% निर्धारित है।
1. पिछले वर्ष 400 करोड़ रुपये तक का कारोबार करने वाली कंपनियों पर 25% कर लगाया गया था ।
2. नई कंपनी जो धारा 115 BAB – बीएबी (धारा 115बीए – BA और 115बीएए – BAA में शामिल नहीं) का विकल्प चुनती है और 1 अक्टूबर 2019 को या उसके बाद पंजीकृत हुई हैं, और 31 मार्च 2023 को या उससे पहले विनिर्माण शुरू कर चुकी हैं वे 15% कर के अंतर्गत आएंगी।
3. कंपनियां धारा 115 बीएए का विकल्प चुनती हैं, जहां कंपनी की कुल आय की गणना निर्दिष्ट कटौती, छूट, प्रोत्साहन का दावा किए बिना की जाती है, और अतिरिक्त मूल्यह्रास पर 22% कर लगाया जाता है।
4. कंपनी धारा 115BA का विकल्प चुनती है और जो 1 मार्च 2016 को या उसके बाद पंजीकृत हुई हैं, तथा किसी भी वस्तु या चीज के विनिर्माण में शामिल है तथा धारा में निर्दिष्ट कटौती का दावा नहीं करती है, तो उस पर 25% कर लगाया जाएगा।
अधिभार एवं उपकर प्रभार
1. ₹1 करोड़ से अधिक किन्तु ₹10 करोड़ तक की कुल आय वाली घरेलू कंपनियों के लिए: 7%।
2. 10 करोड़ रुपये से अधिक की कुल आय वाली घरेलू कंपनियों के लिए: 12%।
3. अतिरिक्त स्वास्थ्य एवं शिक्षा उपकर दर जो की सभी कंपनियों पर 4% लागू होगा ।
2. साझेदारी फर्म या एलएलपी कंपनियों के लिए
मानक कॉर्पोरेट कर की दर 30% है।
अधिभार एवं उपकर प्रभार
10 करोड़ रुपये से अधिक की कुल आय वाली कंपनियों के लिए: 12%
अतिरिक्त स्वास्थ्य एवं शिक्षा उपकर दर – सभी कंपनियों पर 4% लागू
3. विदेशी कंपनियों के लिए
मानक कॉर्पोरेट कर की दर 40% है।
भारत सरकार द्वारा अर्जित रॉयल्टी आय और तकनीकी सेवाओं के लिए शुल्क पर सकल आधार पर 10% कर लगाया जाता है
अधिभार एवं उपकर प्रभार
₹1 करोड़ से अधिक किन्तु ₹10 करोड़ तक की कुल आय वाली विदेशी कंपनियों के लिए: 2%।
10 करोड़ रुपये से अधिक की कुल आय वाली विदेशी कंपनियों के लिए: 5%।
अतिरिक्त स्वास्थ्य एवं शिक्षा उपकर दर – सभी कंपनियों पर 4% लागू
नई कर व्यवस्था के अंतर्गत कौन सी छूट/कटौतियाँ उपलब्ध नहीं हैं? | Income Tax Slabs for FY 2023-24 – AY 2024-25
2020 के बजट में नई व्यवस्था के तहत उपलब्ध 100 छूटों में से लगभग 70 को हटा दिया गया है। निम्नलिखित छूट और कटौती कुछ सबसे महत्वपूर्ण हैं जो कर गणना के लिए नए कर स्लैब को चुनने पर उपलब्ध नहीं होंगी –
- मकान किराया भत्ता
- धारा 10(13ए) के तहत
- छुट्टी यात्रा भत्ता
- धारा 10(5) के तहत
- धारा 10(14) के अंतर्गत भत्ते
- खाद्य कूपन और अन्य कर-मुक्त भत्ते और सुविधाएं
- आयकर अधिनियम के अध्याय VI ए के तहत कटौती जैसे धारा 80सी-C ,80डी-D,80टीटीए-TTA, वगैरह।
- स्वयं के स्वामित्व वाली गृह संपत्ति के लिए भुगतान किए गए गृह ऋण ब्याज के लिए कटौती
- धारा 24 (बी) – B
- और धारा 80ईईए- EEA
नई कर व्यवस्था के अंतर्गत क्या छूट/कटौतियाँ उपलब्ध हैं? | Income Tax Slabs for FY 2023-24 – AY 2024-25
नई कर व्यवस्था के अंतर्गत निम्नलिखित कटौतियाँ और छूट उपलब्ध होंगी –
- धारा 80सीसीडी (2) के अंतर्गत आपके वेतन का 10% तक एनपीएस में नियोक्ता का योगदान [केन्द्रीय सरकार के कर्मचारी के मामले में 14%).
- यदि मकान किराये पर दिया गया हो तो शुद्ध किराया आय का 30% मानक कटौती।
- गृह ऋण पर चुकाए गए ब्याज को गृह संपत्ति से प्राप्त किराये की आय से घटाया जा सकता है। हालाँकि, गृह संपत्ति मद से होने वाले नुकसान को आय के किसी अन्य मद से समायोजित नहीं किया जा सकता है।
- दिव्यांग कर्मचारियों को कार्यस्थल से घर तक दैनिक यात्रा व्यय को पूरा करने के लिए परिवहन भत्ते में छूट उपलब्ध होगी।
- आधिकारिक कर्तव्य के निर्वहन के लिए परिवहन पर होने वाले व्यय को पूरा करने के लिए वाहन भत्ता दिया जाएगा।
- कर्मचारियों को दौरे या स्थानांतरण पर यात्रा की लागत को पूरा करने के लिए भत्ते दिए जाएंगे।
- अपने सामान्य कार्य स्थल से अनुपस्थित रहने की स्थिति में दिन-प्रतिदिन के साधारण व्यय के लिए दैनिक भत्ता प्रदान किया जाता है।
पुरानी कर व्यवस्था/नई कर व्यवस्था को चुनने के क्या लाभ और नुकसान हैं?
Benefits and Disadvantages of Opting for the Old Tax Regime/the New Tax Regime?
फ़ायदे | नुकसान |
पुरानी कर व्यवस्था | |
आयकर अधिनियम के तहत लगभग 70 छूट और कटौतियों का लाभ उठाने का विकल्प | कर लाभ का दावा करने के लिए केवल निर्दिष्ट विकल्पों में निवेश करना आवश्यक था। |
निवेश प्रमाण के लिए गलत जानकारी प्रस्तुत करने की प्रथा प्रचलित है | |
नई कर व्यवस्था | |
कर दरें कम की गईं | कोई बड़ा कर बचत विकल्प नहीं दिया गया, करदाताओं के हाथों में नकदी प्रवाह बढ़ा दिया गया |
उन लोगों के लिए आकर्षक नहीं है जो पहले से ही निवेश कर रहे हैं और जिनके पास बाध्यकारी प्रीमियम हैं | |
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