Received: Income Tax Notice ?; Understand fault, Filing mistakes, ITR Submission, How to protect in 2024

Income Tax Notice

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Received; Income Tax Notice

देश के अर्थव्यवथा में सबसे बड़ा योगदान देने वाले टैक्सपेयर्स को IT डिपार्टमेंट धड़ाधड़ टैक्स फाइलिंग में गलती के वजह से भेज रहा है नोटिस:

आइये जानते हैं फाइलिंग में गलती से कैसे कर सकते हैं बचाव

आईटीआर फॉर्म भरते समय सही इनकम और अतिरिक्त कमाई की जानकारी देना जरुरी है। एक रुपए का भी गलत डेटा देने पर नोटिस आ सकता है और टीडीएस कटा होने पर भी सही जानकारी देना आवश्यक है।

कई टैक्सपेयर्स इनकम टैक्स रिटर्न फॉर्म के रिजेक्ट होने की समस्या से परेशान हैं। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के नोटिस से भी कुछ लोग परेशान हैं और आइये जानते हैं उन सवालों के जवाब

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आईटीआर फाइल करते वक़्त सही फॉर्म का चयन करना जरूरी है, अन्यथा आपको नोटिस मिल सकता है और फॉर्म भी अस्वीकृत हो सकता है।

इसलिए चलिए पहले यह जान लेते हैं कि कौन सा फॉर्म किसके लिए जरूरी है.

1- ITR-1: ये सैलरीड पर्सन के लिए फॉर्म है जिनकी एक ही संपत्ति है और अन्य स्रोतों (जैसे ब्याज आदि) से 50 लाख रुपए तक की आय प्राप्त करते हैं।

2- ITR-2: ऐसे व्यक्ति और HUF जिनकी आय व्यवसाय या पेशे से नहीं है वे इस फॉर्म का चुनाव करते हैं।

3- ITR-3: ऐसे व्यक्ति जिनकी आय किसी मालिकाना व्यवसाय या पेशे से आती है ऐसे लोग और HUF के लिए आईटीआर 3 दाखिल किया जाता हैं.

4- ITR-4: इस फॉर्म का चयन व्यापार या पेशे से की जाने वाली अनुमानित आय के लिए होता है।

 

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फाइल करते समय इन बातों का ध्यान रक्खे

टैक्सपेयर्स को आईटीआर फाइल करने के लिए सभी आवश्यक दस्तावेज होना अत्यंत आवश्यक है ताकि कोई भी परेशानी न हो ।

फॉर्म 16 A एंड बी सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। इस एम्प्लोयी को उसके एम्प्लायर या कंपनी की ओर से जारी किया जाता है जिसमें एम्प्लोये के वेतन और कटे गए टैक्स का पूर्ण विवरण दिया होता है।

पैन कार्ड भी बहुत जरुरी है क्युकी पैन कार्ड के बिना आईटीआर दाखिल नहीं किया जा सकता है यह भी अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है।

बैंक स्टेटमेंट भी जरूरी है ताकि ब्याज आय और अन्य वित्तीय लेनदेन का हिसाब प्राप्त किया जा सके । साथ में टैक्स बचाने के लिए पीपीएफ, एनएससी, और ईएलएसएस जैसे निवेश से संबंधित दस्तावेज़ भी साथ में रखना आवश्यक है ।

अगर समझे तो टीडीएस प्रमाणपत्र को अन्य आय स्रोतों से हुई कमाई पर टैक्स कटौती के लिए प्रमाण माना जा सकता है।

फॉर्म 26एएस भी आईटीआर भरने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण डॉक्यूमेंट है यह सालाना कर विवरण व्यक्ति द्वारा किए गए कर भुगतान और कटौती को दर्शाता है। इस फॉर्म को टैक्सपेयर आसानी से आयकर ई-फाइलिंग पोर्टल से डाउनलोड कर सकते हैं।

ई-फाइलिंग पोर्टल पर कैसे रजिस्टर करें। Link :  e-filing portal

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जो भी पहली बार आयकर रिटर्न दाखिल कर आहे है या करने वाले है को सबसे पहले ई-फाइलिंग पोर्टल पर खुद को रजिस्टर करना चाहिए।

  • इसके लिए आयकर विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएँ और रजिस्टर विकल्प पर क्लिक करें।
  • उसके बाद टैक्सपेयर / करदाता को चुनें।
  • अब अपने पैन कार्ड के विवरण भरें और सत्यापित करें।
  • इसके बाद अपना नाम, पता, जेंडर इत्यादि जैसी पर्सनल जानकारी प्रदान करें।
  • अब अपना पंजीकृत मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी दर्ज करें।
  • आगे इस प्रक्रिया के तहत एक ओटीपी मोबाइल नंबर और ईमेल पर आएगा जिसे पोर्टल पर दर्ज करना होगा। अब अपने पासवर्ड को सेट करें और साइन इन करें।
  • अब अपने आप को पंजीकृत करें।
  • जब रजिस्ट्रेशन पूरा हो जाएगा, तो एक मैसेज के जरिए सूचित किया जाएगा।

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छूट का दावा करें और लाभ उठाएँ 

टैक्स फाइलिंग के दौरान आयकर अधिनियम की अनेक छूटें भी उपलब्ध होती हैं।
इससे टैक्सपेयर अपनी टैक्सेबल आय को कम करने में मदद कर सकते हैं।

  • आईटी की धारा 80C में PPF, EPF, NSC, और जीवन बीमा जैसी निवेशों के लिए 1.5 लाख रुपए तक की कटौती की सुविधा है।
  • स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर कटौती का लाभ धारा 80D में भी मिलता है।
  • इसके साथ ही, धारा 80TTA में बचत खातों पर ₹10,000 तक के ब्याज के लिए कटौती का लाभ उठाया जा सकता है।
  • धारा 24(b) से होम लोन के ब्याज पर 2 लाख रुपए तक की कटौती का लाभ प्रस्तावित है।

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अंत भला तो सब भला यानि सबमिशन का ई-वेरिफिकेशन भी है बहुत जरूरी

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आईटीआर फाइल करने के पश्चात उसकी ई-वेरिफिकेशन अनिवार्य होता है। अगर आईटीआर भरने के बाद उसे वेरिफाई नहीं किया गया ITR फाइल अमान्य माना जाएगा।

टैक्सपेयर्स अपना आईटीआर EVC यानि इलेक्ट्रिॉनिक वेरिफिकेशन कोड के माध्यम से ई-वेरिफाई कर सकते हैं, जिसका मतलब है इलेक्ट्रॉनिक वेरिफिकेशन कोड ऑप्शन का उपयोग करना। यदि आप आईटीआर फाइल करने के बाद उसे ई-वेरिफाई नहीं करते हैं तो भी आपको नोटिस मिल सकता है।


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