Pitru Paksha
Pitru Dosh से परेशान हैं? पितरों की कृपा पाने का सरल और प्रभावी उपाय
सनातन धर्म में पितृपक्ष का विशेष महत्व बताया गया है। यह 15 दिन की वह पवित्र अवधि होती है जब पितरों का स्मरण कर उनके प्रति श्रद्धा व्यक्त की जाती है।
इस दौरान तर्पण, दान और पूजा जैसे कर्म करने से पितरों की आत्मा तृप्त होती है और परिवार पर उनका आशीर्वाद बना रहता है।
पितृपक्ष केवल धार्मिक अनुष्ठानों का समय नहीं है बल्कि यह जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक शांति लाने का अवसर भी है।
कुछ विशेष पौधों पवित्र पौधों की पूजा और रोपण न केवल पितरों की कृपा दिलाता है बल्कि घर में सुख-समृद्धि और सौभाग्य का मार्ग भी खोलता है।

इस पावन अवसर पर सही नीयत और श्रद्धा से किया गया हर कार्य पितरों तक पहुंचता है और परिवार के जीवन को सुखमय बनाता है।
इस वर्ष यानी 2025 में पितृपक्ष 7 सितंबर से आरंभ होकर 21 सितंबर तक चलेगा। इस अवधि में कुछ विशेष पौधों की पूजा और रोपण से पितरों की कृपा प्राप्त करना सरल हो जाता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ये तीन पौधे या पेड़ हैं जिनको पितृपक्ष में विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
- तुलसी का पौधा
- पीपल का पेड़
- बरगद का पेड़
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Pitru Paksha में पौधों का महत्व
ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि इन पौधों की पूजा और देखभाल करने से घर में सुख शांति, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- तुलसी का महत्व: तुलसी हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र मानी गई है। मान्यता है कि मृतक के मुख में तुलसी का पत्ता रखने से आत्मा को मोक्ष मिलता है। पितृपक्ष के दौरान तुलसी का पौधा लगाकर रोज जल अर्पित करने से जीवन की बाधाएं दूर होती हैं और पितरों का आशीर्वाद मिलता है। वहीं तुलसी के पास बैठने से सकारात्मक ऊर्जा और शांति का अनुभव होता है।
- पीपल का महत्व: पीपल में पितरों का वास स्थल माना गया है। पितृपक्ष के दिनों में पीपल के नीचे जल अर्पित करना और दीपक जलाना अत्यंत शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार – पीपल लगाने से अधूरे कार्य पूरे होते हैं और घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है।
- बरगद का महत्व: बरगद को दीर्घायु और मोक्ष देने वाला वृक्ष कहा गया है। पितृपक्ष में इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। बरगद का पौधा लगाने से जीवन की समस्याएं कम होती हैं और पितृ प्रसन्न होते हैं। इसे परिवार के लिए सौभाग्य और शांति लाने वाला भी माना जाता है।
Pitru Paksha में किए जाने वाले विशेष कार्य

पितृपक्ष के दौरान सिर्फ पौधों की पूजा ही नहीं बल्कि इस पवित्र समय में कुछ और कार्य भी लाभकारी माने गए हैं।
- तर्पण: पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण करना सबसे महत्वपूर्ण कर्म है।
- दान: भोजन, अन्न, वस्त्र और अन्य आवश्यक वस्तुएं दान करने से पितर प्रसन्न होते हैं।
- सत्कार: ब्राह्मणों और जरुरतमंद लोगों को भोजन कराने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है।
Pitru Dosh | पितृदोष से मुक्ति का सरल उपाय
ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि यदि किसी परिवार में पितृदोष हो तो पितृपक्ष में विशेष पूजा, तर्पण और इन पौधों का रोपण करने से लाभ मिलता है।
पीपल, बरगद और तुलसी का पौधा घर या किसी पवित्र स्थान पर लगाकर प्रतिदिन श्रद्धा से उनकी देखभाल करने पर पितरों की आत्मा तृप्त होती है। इससे पारिवारिक कलह दूर होता है आर्थिक समृद्धि आती है और जीवन में स्थिरता का अनुभव होता है।
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अभी और कुछ बाकी है – Pitru Paksha
Pitru Paksha – FAQ – Frequently Asked Questions
प्रश्न 1: पितृपक्ष 2025 कब से कब तक रहेगा?
उत्तर: पितृपक्ष 2025 – 7 सितंबर से आरंभ होकर 21 सितंबर तक चलेगा।
प्रश्न 2: पितृपक्ष में कौन से पौधों का सबसे अधिक महत्व है?
उत्तर: पितृपक्ष में पीपल, बरगद और तुलसी का पौधा अत्यंत शुभ माना जाता है।
प्रश्न 3: पितृदोष से मुक्ति के लिए क्या करना चाहिए?
उत्तर: पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए पितृपक्ष में तर्पण, दान, ब्राह्मण भोजन और पीपल, बरगद तथा तुलसी का रोपण करना लाभकारी होता है।
प्रश्न 4: क्या पितृपक्ष में दान करना आवश्यक है?
उत्तर: हां, पितृपक्ष में अन्न, वस्त्र और अन्य आवश्यक वस्तुओं का दान करने से पितर प्रसन्न होते हैं और घर में समृद्धि आती है।
प्रश्न 5: तुलसी की पूजा पितृपक्ष में क्यों की जाती है?
उत्तर: तुलसी की पूजा करने से जीवन की बाधाएं दूर होती हैं और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

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