Reciprocal Tariff
जैसे जैसे गर्मी का पारा बढ़ रहा है मेहंगाई का पारा भी अपना रूद्र रूप दिखाना शुरु कर चुका है अब चाहे ये राष्ट्रीय स्तर पर हो या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जेब जनता की ही ढीली होनी है|
अमेरिका के राष्ट्रपति बनते ही डोनाल्ड ट्रंप ने उलट पुलट कई फैसले लिए जिसका असर वैश्विक व्यापार पर अब देखा जा सकता है हाल में ट्रंप सरकार ने टैरिफ को लेकर अपनी तलवारें निकाल ली है जिससे ये व्यापारिक अखाड़ा बहुत गर्माने वाला है।
आम आदमी के जेब पर भी सीधा असर डालने वाला रेसिप्रोकल टैरिफ (Reciprocal Tariff) नामक ‘मेहंगाई‘ का राक्षस अपना मुंह खोले खड़ा है जिसमे भारत से अमेरिका को निर्यात होने वाले उत्पादों पर अब 26 % टैरिफ लगाने वाला अस्त्र चल चुका है|
अब इसका असर आदमी की जेब पर कितना पड़ेगा या भारतीय बाजार और हमारी दैनिक जरूरतों पे क्या उलट फेर होगा, रोजमर्रा की जिंदगी को कैसे प्रभावित करेगा आइये गेहराई से समझते है ।
मोटा मोटा पहले ये समझना होगा की टैरिफ और रेसिप्रोकल टैरिफ क्या होता है?
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टैरिफ क्या होता है? | What is Tariff
टैरिफ एक तरह का कर यानि टैक्स है जो एक देश दूसरे देश से आने वाले वस्तुओं या आयातित वस्तुओं पर लगाता है।
आसान भाषा में कहें तो जब कोई विदेशी सामान एक देश में आता है तो उस पर सरकार एक अतिरिक्त पैसा वसूलती है जिसका मुख्य उद्देश्य सरकार के लिए राजस्व बढ़ाना और घरेलू कंपनियों या उद्योगों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाना होता है जिसको टैरिफ कहते हैं
उदाहरण के अनुसार: इसको इस तरह समझते है जैसे एक अमेरिकी ग्राहक जो भारत से आने वाले आम को खरीदता था जिसके लिए पहले 1 किलो का 50 डॉलर देता था। वहीं अब ट्रंप के टैरिफ के बाद उसे उसी 1 किलो आम लिए 90 डॉलर देने होंगे। तो वो आम कम खरीदेगा जिससे भारतीय निर्यातकों को नुकसान हो सकता है।
रेसिप्रोकल टैरिफ क्या है? | What is Reciprocal Tariff

जब एक देश दूसरे देश के सामान पर ज़्यादा टैक्स लगाता है तो उसके बदले में दूसरा देश भी वैसे ही टैक्स उस देश के सामान पर लगा देता है।
यानि “जैसे को तैसा” वाला तरीका जो व्यापार में बराबरी बनाए रखने के लिए अपनाया जाता है उसको ही Reciprocal Tariff कहते हैं।
उदाहरण के अनुसार: अगर अमेरिका भारत से आने वाले कपड़ों पर 30% टैक्स लगा देता है तो भारत भी अमेरिका से आने वाले कपड़ों या दूसरे सामान पर 30% या उससे ज़्यादा टैक्स लगा सकता है।
डोनाल्ड ट्रंप के अनुसार भारत अमेरिका से आयात होने वाले उत्पादों पर 52% तक का टैरिफ लगाता है इसलिए अमेरिका ने जवाब में भारत पर 26% Reciprocal Tariff लागू कर दिया है ।
Reciprocal Tariff क्यों ज़रूरी होता है –
- ताकि किसी देश को व्यापार में ज़्यादा फायदा न मिले
- घरेलू उद्योग को नुकसान न हो
- दूसरे देश पर दबाव बनाया जा सके
अगर समझें तो यह तरीका अक्सर तब अपनाया जाता है जब कोई देश अपनी शर्तें थोपने की कोशिश करता है।
Reciprocal Tariff का भारतीय कंपनियों और आम आदमी पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से क्या असर पड़ेगा आइये देखते हैं –
(i). आम आदमी के वेतन से लेकर नौकरी पर भी आंच
टैरिफ की आग की आंच सीधे आम लोगों पर असर नहीं डालेगी लेकिन जब कंपनियों के व्यापार पर असर पड़ेगा तो निश्चित है उसकी गर्मी का असर धीरे-धीरे आम आदमी की जिंदगी पर भी पड़ेगा।
अक्सर अगर कंपनियों की कमाई घटती है तो वे खर्चे कम करने लगती हैं। जो सबसे पहले असर पड़ता है वो है नौकरियों पर यानी छंटनी की संभावनाओं का बढ़ जाना और ये असर इस तरह होगा –
- नौकरियां जाने से परिवारों की आमदनी पर असर
- खर्चों में कटौती और जीवनशैली में बदलाव
- बाजार में खरीदारी की ताकत भी कम हो जायेगी
(ii). भारतीय IT कंपनियों के लिए चुनौतियां
भारत से सबसे ज़्यादा निर्यात IT सेवाओं और सॉफ्टवेयर का होता है। अमेरिका इन सेवाओं का सबसे बड़ा खरीदार है।
- TCS, Infosys और Wipro जैसी दिग्गज IT कंपनियां ज्यादा प्रभावित हो सकती हैं
- अमेरिका में काम करना अब पहले से महंगा हो सकता है
- मुनाफे में कमी आने की आशंका
अगर लागत इसी तरह बढ़ती रही तो कंपनियों को अपने खर्चे घटाने पड़ सकते हैं जिसका सीधा असर नौकरी और वेतन पर असर हो सकता है।

(iii). भारतीय कंपनियों का घटेगा मुनाफा
इस फैसले का असर उन भारतीय कंपनियों पर पड़ेगा, जो अपना माल अमेरिका को निर्यात करती हैं मतलब यह हुआ कि जिन भारतीय कंपनियों के उत्पादों का बड़ा बाजार अमेरिका है
- अमेरिका में बिक्री पर असर पड़ सकता है
- कंपनियों को घाटा होने की आशंका
- छोटे निर्यातकों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं
हालांकि आम लोगों पर इसका कोई सीधा असर नहीं दिखेगा, लेकिन लंबे समय में रोज़गार और व्यापार में बदलाव मुमकिन है।
(iv). भारतीय स्टील और ऑटो उद्योग को अतिरिक्त नुकसान की संभावना
भारत से अमेरिका को हर साल बड़ी मात्रा में स्टील और ऑटो पार्ट्स निर्यात किए जाते हैं। इससे दोनों देशों के बीच व्यापार को मजबूती मिलती है। लेकिन वहीं अब अमेरिका ने इन उत्पादों पर नया टैरिफ लगा दिया है जिससे –
- टैरिफ लगने से भारतीय सामान अमेरिका में महंगा हो जाएगा
- ज्यादा कीमत के कारण बिक्री पर भी असर पड़ सकता है
- यहाँ तक की कंपनियों को मुनाफा कम होने का भी खतरा है
स्टील और ऑटो सेक्टर भारत के बड़े उद्योगों में शामिल हैं, जो लाखों लोगों को रोज़गार देते हैं। अगर अमेरिका में बिक्री घटी तो कंपनियों को अपने उत्पादन में कटौती करनी पड़ सकती है। इससे कर्मचारियों की नौकरियां भी प्रभावित हो सकती हैं।
अगर समझे तो छोटे और मध्यम आकार की कंपनियां इस बदलाव से ज्यादा परेशान हो सकती है क्योंकि उनके लिए लागत बढ़ना सीधा घाटे में बदल सकता है।
(v). भारतीय कंपनियों को नए बाजार की संभावनाएं ढूंढनी होंगी
डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ वॉर से अगर अमेरिका में व्यापार करना महंगा हो जाता है तो भारतीय कंपनियों को अपने लिए अब नए रस्ते और बाजार ढूंढने ही होंगे। वैसे अमेरिका कई भारतीय कंपनियों के लिए एक बड़ा ग्राहक है लेकिन अगर वहां टैरिफ बढ़ता है या खर्चे ज्यादा होते हैं शर्तिया कंपनियों को नुकसान झेलना पड़ सकता है।
- ऐसे में कंपनियां यूरोप, एशिया और अफ्रीका जैसे इलाकों की तरफ मुड सकती हैं
- नए बाजारों में व्यापार शुरू करना थोड़ा चुनौतीपूर्ण हो सकता है लेकिन इससे कंपनियों को अमेरिकी निर्भरता से राहत मिल सकती है और नए रस्ते भी खुलेंगे
अगर रणनीति और प्रयास सही रहा तो तो ये नए बाजार भारत के लिए बड़े फायदे का सौदा साबित हो सकते हैं।
वैसे भी नई जगहों पर व्यापार फैलाने से कंपनियों को जोखिम भी कम होगा और लंबे समय में उनकी आमदनी भी बढ़ सकती है।
(vi). भारतीय कपड़ा उद्योग को झटका
भारत की कई टेक्सटाइल कंपनियां अमेरिका को बड़े पैमाने पर कपड़े निर्यात करती हैं। लेकिन अब 26% टैरिफ लगने से ये उत्पाद अमेरिका में महंगे हो जाएंगे।
- भारतीय कपड़ों की कीमत बढ़ सकती है
- अमेरिकी बाजार में मांग घटने की संभावना
- छोटे और मध्यम कपड़ा कारोबार पर असर
इससे कंपनियों को घाटा हो सकता है और उत्पादन भी कम किया जा सकता है। लंबे समय में इसका असर रोज़गार और व्यापार पर पड़ सकता है।
Reciprocal Tariff | क्या टैरिफ बढ़ने से भारत को कोई फायदा भी हो सकता है?

अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ से भारत को कुछ दिक्कतें जरूर होंगी लेकिन इसके विपरीत कुछ सकारात्मक मौके भी सामने आ सकते हैं।
कहते है जब एक रास्ता बंद होता है तो कई नए रास्ते खुल जाते हैं।
तो यही टैरिफ
- भारत में अब अपने घरेलू बाजार को और मजबूत करने पर ध्यान दिला सकता है।
- देश के अंदर बनने वाले प्रोडक्ट्स की मांग बढ़ा सकता है।
- इससे स्वदेशी कंपनियों को बढ़ावा मिलेगा और साथ ही लोगों को ज्यादा रोजगार भी मिल सकता है।
इसके अलावा जैसे ऊपर कहा की भारत नए बाजार की तलाश कर सकता है नई व्यापारिक डील कर सकता है जिससे भारत की निर्भरता सिर्फ अमेरिका पर नहीं रहेगी।
टैरिफ भले ही चुनौती हो लेकिन सही रणनीति से इस आपदा को एक अवसर में बदला जा सकता है।
Reciprocal Tariff | Impact Analysis
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