Whose side effects are worse Covaxin or Covishield
Covaxin vs Covishield side effects
कोरोना वैक्सीन ने कोविड काल में बहुत लोगों की जान बचाई अब चाहें ये मानसिक रूप से हो या शारीरिक रूप से।
कोरोना से बचाव के लिए दुनिया भर में लगाई गई वैक्सीन कोविशील्ड के साइड इफैक्ट्स से होने वाली गंभीर बीमारियों का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि अब कोवैक्सीन के साइड इफैक्ट्स पर आई एक रिसर्च ने खलबली मचा दी और लोगों को भ्रम में डाल दिया।
In Short
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- Covaxin VS Covishield side effects.
- Whose side effects are worse Covaxin or Covishield
- कोविशील्ड में बताये गए साइड इफैक्ट्स | Identified Covishield side effects
- कोवैक्सीन में बताये गए साइड इफैक्ट्स | Identified Covaxin side effects
- दोनों में से किसके साइड इफैक्ट्स हैं खतरनाक | Whose side effects are worse Covaxin or Covishield
- कोवैक्सीन पर शोध करने वाले बीएचयू के वैज्ञानिकों पर कार्यवाही की तलवार लटकी है
- नोटिस में मुख्य रूप से चार बातों का जिक्र किया गया है | Majorly Focused on 4 Facts.
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Whose side effects are worse Covaxin or Covishield
भारत में वैक्सीन को लेकर पैदा हो रही चिंता की एक वजह ये भी है कि यहां कोवैक्सीन और कोविशील्ड दोनों ही वैक्सीन लोगों को लगाई गई हैं बल्कि कुछ लोगों ने तो कोवैक्सीन और कोविशील्ड का मिक्स्ड डोज भी लगवाया था.
कोविशील्ड में बताये गए साइड इफैक्ट्स | Identified Covishield side effects
ब्रिटिश हाई कोर्ट में कोविशील्ड का मामला पहुंचने के बाद एस्ट्रेजेनेका ने अपनी वैक्सीन को पूरी तरह वापस लेने का फैसला कर लिया था और कंपनी ने माना था की इस वैक्सीन को लेने के बाद लोगों में 4 से 6 हफ्ते के अंदर थ्राम्बोसिस और ब्लड क्लोटिंग की परेशानी देखी गई जिसकी वजह से हार्ट अटैक होने की भी संभावना जताई गई थी जिससे इस वैक्सीन को लगवाने वालों में एक डर पैदा हो गया जबकि उस समय कोवैक्सीन लगवाने वाले खुद को खुशनसीब मान रहे थे।
कोवैक्सीन में बताये गए साइड इफैक्ट्स | Identified Covaxin side effects
अभी बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में हुए एक रिसर्च में कोवैक्सीन को लेकर लोगों में वायरल अपर रेस्पेरेट्री ट्रैक इंफेक्शन्स से लेकर नसों से जुड़ी परेशानी, जनरल डिसऑर्डर और मांसपेशियों से जुड़ी परेशानी, आंखों की दिक्कत और पीरियड्स से जुड़ी परेशानी देखे जाने का दावा किया गया है।
इसके बाद एक बहस का विषय बन गया की किस वैक्सीन में सबसे जयादा और खतरनाक साइड इफ़ेक्ट है अतः इसके परिणाम को लेकर मशहूर वायरोलॉजिस्ट और डॉ. अंबेडकर सेंटर फॉर बायोमेडिकल रिसर्च नई दिल्ली के डायरेक्टर प्रोफेसर सुनीत के सिंह ने अपनी टिप्पणी दी
दोनों में से किसके साइड इफैक्ट्स हैं खतरनाक | Whose side effects are worse Covaxin or Covishield
डॉ. सुनीत सिंह के अनुसार, “कोविशील्ड और कोवैक्सीन के अलग अलग साइड इफैक्ट्स इनके निर्माण की अलग अलग पद्धतियों के तरह है”
Covishield एडिनोवायरस बेस्ड वैक्सीन है जिसमे एक्टिव स्पाइक प्रोटीन को वैक्सीन के माध्यम से शरीर में डाला जाता है जिससे सार्स कोव 2 के खिलाफ एंटीबॉडीज बनती हैं इसमें साइड इफैक्ट्स की संभावना अन्य वैक्सीन की तरह ही है इसके बावजूद एस्ट्रेजेनेका कंपनी ने ही इसके साइड इफैक्ट्स को खुद स्वीकार कर लिया था।
अगर वैज्ञानिक द्रष्टिकोण से और भारत के परिद्रश्य में देखें तो जितने लोग वैक्सीनेटेड हुए हैं और एस्ट्रेजेनेका के डेटा के हिसाब और उस लिहाज से लाइफ थ्रेटनिंग थ्राम्बोसिस वाले मरीजों की संख्या बहुत कम थी लेकिन अगर गौर करें तो ये कोई नहीं बता रहा की जिनमें साइड इफैक्ट देखे गए क्या उनमे पहले से कोई बीमारी थी या नहीं या पहले से अन्य गंभीर बीमारी से ग्रस्त तो नहीं था।
अब जबकि कोविशील्ड को लगे इतना समय निकल गया है, भारत के लोगों को इसका खतरा नहीं है बाकी अपवाद किसी भी दवा में हो सकता है।
अब अगर Covaxin को समझें तो मेडिकली इसके जो भी साइड इफैक्ट्स बताए गए हैं वो लांग कोविड के साइड इफैक्ट्स जैसे दिखाई दे रहे हैं।
क्योंकि कोवैक्सीन जिस तकनीक से यह बनाई गई है उसी तकनीक से अन्य बनी वैक्सीन भारत में आज भी बच्चों और बड़ों को लगाई जाती हैं यह एक इनएक्टिवेटेड वैक्सीन है जिसमे मृत वायरस को शरीर के अंदर पहुंचाया जाता है जो फिलहाल संक्रमण करने में असमर्थ रहता है लेकिन उसके एंटीजन शरीर को रोग के प्रति एंटीबॉडीज बनाने के लिए प्रेरित करते हैं और बीमारी से बचाव करते हैं
अगर देखें तो यह निष्क्रिय वायरस पर बनी वैक्सीन है जिससे इससे कोरोना या ऐसे किसी अन्य संक्रमण की गुंजाइश ही नहीं रहती।
इसका एक और वैज्ञानिक तथ्य है कि जब कोवैक्सीन लोगों को लगाई गई तो क्या गारंटी है या इसको कौन सिद्ध करेगा कि इसके बाद लोगों को ओमिक्रोन या कोरोना जेएन.1 जैसे वेरिएंट से संक्रमण या संक्रमित नहीं हुए जबकि भारत की बहुत बड़ी आबादी वैक्सीन लेने के बाद भी संक्रमित हुई क्योंकि ये सभी वैक्सीन संक्रमण को नहीं रोकतीं ये सिर्फ फैटलिटी को रोकती हैं और देखा जाये तो संक्रमण तो वैक्सीन के बाद भी हो सकता है तभी तो बॉस्टर डोस की बात हुयी थी।
ऐसे में क्या गारंटी है कि जो भी साइड इफैक्ट्स रिसर्च स्टडी में पाए गए वे वैक्सीन के ही हैं, कोमोरबिड कंडीशन या सार्स कोव के बार बार संक्रमण की वजह से लांग कोविड के नहीं हैं क्या ऐसा भी कोई रिकॉर्ड है कि जो लोग खुद रिसर्च में शामिल थी उन्हें वैक्सीनेशन के बाद कोरोना नहीं हुआ?
डॉ. सुनीत के अनुसार हैं ” जैसा कोविशील्ड के समय में था और अब कोवैक्सीन को लेकर भी यही बात है कि कोरोना ऐसी बीमारी है या रही है जिसकी कई लहरें आईं जिसके कई इफैक्ट्स रहे ऐसे में किसी भी साइड इफैक्ट को बिना अन्य पहलुओं को देखे और समझे सिर्फ वैक्सीन\वक्सीनशन को बता देना उचित नहीं है”
अगर मान भी लेते हैं की कोवैक्सीन के साइड इफैक्ट्स है तो ये लांग कोविड के इफैक्ट्स की तरह हैं और प्रथम द्रष्टया ये गंभीर नहीं हैं लेकिन फिर भी कोई भी बीमारी कभी भी गंभीर हो सकती है और लाइफ को प्रभावित कर सकती है फिर भी घबराने की जरूरत नहीं है
कोवैक्सीन पर शोध करने वाले बीएचयू के वैज्ञानिकों पर कार्यवाही की तलवार लटकी है
उनको ICMR द्वारा नोटिस जारी कर कानूनी और प्रशासनिक कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।
बीएचयूके फार्माकोलाॉजी और जीरियाट्रिक विभाग की ओर से पिछले दिनों किये गए अध्ययन में बताया गया था कि कोवैक्सीन लेने वाले वयस्कों में इसका काफी दुष्प्रभाव हुआ है। जिसमे कहा गया की अध्ययन के आधार पर पाया गया की 30 फीसदी से ज्यादा लोगों को इससे स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानी जैसे स्ट्रोक, खून का थक्का जमना, बाल झड़ना, त्वचा की खराबी जैसी समस्याएं हो रही हैं।
आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने शनिवार को इस रिपोर्ट के प्रकाशन के बाद जीरियाट्रिक विभागाध्यक्ष प्रो. शुभ शंख चक्रवर्ती और फार्माकॉलोजी विभाग की डॉ. उपिंदर कौर को नोटिस भेज कर स्पष्ट तौर पर कहा है कि इस रिपोर्ट से परिषद सेजुड़ा हिस्सा तत्काल हटाया जाए और इस संदर्भ में खेद प्रकाश किया जाय क्योकि इस अध्ययन के लिए आईसीएमआर से कोई स्वीकृति नहीं ली गई थी और पूर्व में प्रकाशित कुछ रिपोर्टों में भी आईसीएमआर को गलत तरीके से शामिल किया गया था।
नोटिस में मुख्य रूप से चार बातों का जिक्र किया गया है | Majorly Focused on 4 Facts
- रिपोर्ट में कहीं भी वैक्सीन लगवाने और न लगवाने वालों के बीच कोई भी तुलनात्मक अध्ययन नहीं किया गया है अतः इस रिपोर्ट को कोविड वैक्सिनेशन से जोड़कर न देखा जाए।
- अध्ययन ये यह कहीं भी जिक्र नहीं किया गया की जिन लोगों में भी वैक्सीन के बाद कुछ साइड इफ़ेक्ट हुए उन्हें पहले से कोई ऐसी परेशानी रही थी या नहीं जिसका जिक्र नहीं है। ऐसे में यह कह पाना लगभग असंभव है कि उन्हें जो भी परेशानी हुई उसकी वजह सिर्फ वैक्सिनेशन थी। और जिन भी लोगों को अध्ययन में शामिल किया गया उनके बारे में आधारभूत जानकारियों का रिपोर्ट में अभाव है जिसका कोई साक्ष्य नहीं पेश किया गया।
- जिस एडवर्स इवेंट्स ऑफ स्पेशल इंटेरेस्ट (एईएसआई) का रिपोर्ट में हवाला दिया गया है उससे अध्ययन के तरीके मेल ही नहीं खाते।
- जो लोग भी अध्ययन में शामिल हुए उनका आंकड़ा वेक्सिनेशन के एक साल बाद सिर्फ टेलीफोन के जरिये जुटाए उनके द्वारा बताए गए तथ्यों का कोई भी क्लीनिकल या फिजीशियन से सत्यापन किये बिना रिपोर्ट तैयार की गई। जिसका कोई आधारभूत सिद्धांत ही नहीं है।
इस मामले में बीएचयू के कुलपति प्रो. सुधीर जैन को चिकित्सा विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो. एस एन संखवार ने रिपोर्ट सौंपी है और माना है कि शोध जल्दबाजी में किया गया है।
फलस्वरूप इस शोध की जांच के लिए आईएमएस डीन रिसर्च प्रो. गोपालनाथ के नेतृत्व में चार सदस्यीय कमेटी गठित की गए है अतः आगे की स्तिथि जांच रिपोर्ट आने के बाद ही स्पष्ट होगी।
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2 thoughts on “Whose side effects are worse Covaxin or Covishield; the expert gave such an answer, will this make us happy”