Three new criminal laws in India
एक जुलाई (1st-July’24) से देशभर में तीन नये आपराधिक कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनयम लागू हो गए हैं ।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 25 दिसंबर 2023 को कानूनों पर अपनी सहमति दी थी. राज्यसभा में कानूनों के पास होने के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था “संसद में पारित तीनों विधेयक, अंग्रेजों द्वारा लागू किए गए कानूनों की जगह लेंगे और एक स्वदेशी न्याय प्रणाली का दशकों पुराना सपना साकार होगा.”
आइये सरल भाषा में विस्तार से जानते हैं इन कानूनों के बारे में …
देश के आपराधिक कानून में पहली बार व्यापक परिवर्तन किए गए हैं जो की एक जुलाई 2024 को पूरे देश में नया आपराधिक कानून लागू हो गया । नये आपराधिक कानून की जानकारी पुलिस महकमे, सरकारी वकीलों तथा न्यायिक अधिकारियों को देने के लिए केंद्र सरकार ने बीते दिनों में काफी प्रयास किए
In Shorts
- Three new criminal laws in India
- आपराधिक कानून में शामिल एक्ट्स
- साक्ष्य अधिनियम के अंतर्गत वर्णन
- सीआरपीसी के अंतर्गत वर्णन
- किसने लागू किये थे आपराधिक कानून
- आपराधिक कानून में क्या क्या धाराएं और कानून हैं
- धाराओं का वर्णन
- नए कानून का आधार
- सर्व प्रथम आतंकवाद को परिभाषित करना
- महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध का जुड़ना
- मॉब लिंचिंग के लिए उम्रकैद या मौत की सजा
- कैसे डाउनलोड करें
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Three new criminal laws in India
आपराधिक कानून में शामिल एक्ट्स
भारत में भारतीय दंड संहिता या इंडियन पीनल कोड या आईपीसी मुख्य आपराधिक कानून है। इसके अलावा इसमें भारतीय साक्ष्य अधिनियम या इंडियन ईवीडेंस एक्ट और आपराधिक प्रक्रिया संहिता या क्रिमिनल प्रोसीजर कोड या सीआरपीसी भी शामिल होकर एक पुख्ता आपराधिक कानून बनाते हैं।
साक्ष्य अधिनियम के अंतर्गत वर्णन
1- किसी भी मुकदमे में सबूत की श्रेणी में कौन-कौन से तथ्य आते हैं
2- कौन गवाह बन सकता है
3- गवाही कैसे ली जाए
सीआरपीसी के अंतर्गत वर्णन
1- आपराधिक मुकदमा कैसे चले
2- पक्षकारों को समन कैसे दिया जाए
3- जमानत की अर्जी किस प्रकार दी जाए
4- अग्रिम जमानत किन मामलों में मिले
5- न्यायाधीश आपराधिक मुकदमों की सुनवाई कैसे करें
6- न्यायाधीशों के विवेकाधिकार क्या, क्या हैं।
किसने लागू किये थे आपराधिक कानून
गुलाम भारत के समय में अंग्रेजी शिक्षा पद्धति थोपने के लिए लार्ड मैकाले को हर कोई जनता है जिसका पूरा नाम थॉमस बेबिंगटन मैकाले था। जो की भारत के पहले गवर्नर जनरल लार्ड विलियम बेंटिक (1834-35) का समकालीन था।
बाद में अंग्रेजी सरकार ने उसकी सेवाओं से प्रसन्न होकर लार्ड की पदवी प्रदान की थी।
पहले विधि आयोग का गठन 1835 में किया गया था और इसका अध्यक्ष मैकाले था साथ में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और आपराधिक प्रक्रिया संहिता का प्रारूप बनाने वाली टीम का मुखिया भी था।
1858 में आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और 1860 में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) लागू की गईं। और इनको ब्रिटेन की संसद ने पारित किया था।
अगर देखा जय तो सीआरपीसी में समय-समय पर व्यापक परिवर्तन हुए थे, जबकि आईपीसी में ज्यादा तब्दीली नहीं आई थी।
आपराधिक कानून में क्या क्या धाराएं और कानून हैं
अंग्रेजों की गुलामी की मानसिकता के प्रतीकों को देश को मुक्त करने की लिए नरेंद्र मोदी की सरकार समय-समय पर प्रयास करते रही जिसमे कई सार्वजनिक स्थलों मार्गों इत्यादि के नाम भी बदले गए हैं।
और फिर अंग्रेजों के जमाने के कानूनों को बदलने की बात भी हुई और 1 जुलाई 2024 को नए आपराधिक कानून के तौर पर भारतीय न्याय संहिता को लाया गया, इंडियन ईवीडेंस एक्ट को भी अब भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तौर पर जाना जाएगा।
धाराओं का वर्णन
- आईपीसी की जगह लेने वाली भारतीय न्याय संहिता में 358 धाराएं हैं वैसे आईपीसी में 511 धाराएं थी।
- जबकि सीआरपीसी की जगह लेने जा रही भारतीय न्याय संरक्षण संहिता में 531 धाराएं है और सीआरपीसी में 484 धाराएं थी।
- इस तरह से ईवीडेंस एक्ट की जगह लेने वाले भारतीय साक्ष्य अधिनियम में 170 धाराएं हैं। ईवीडेंस एक्ट में 167 धाराएं थीं।
इस तरह से सबूत के कानून में 3 धाराएं बढ़ाई गई हैं।
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नए कानून का आधार
(i). सर्व प्रथम आतंकवाद को परिभाषित करना
आतंकवाद शब्द को पहली बार भारतीय न्याय संहिता में परिभाषित किया गया है जोकि आईपीसी में पहले मौजूद नहीं था.
भारतीय न्याय संहिता में आतंकवाद को धारा 113 (1) के तहत दंडनीय अपराध बनाया गया है और आतंकवाद की स्पष्ट परिभाषा दी है
पहले से मौजूद राजद्रोह को अपराध के रूप में समाप्त कर दिया है और “राज्य के खिलाफ अपराध” नामक एक नया खंड जोड़ा गया है.
देश की सुरक्षा को देखते हुए आतंकवाद से जुड़े अपराधों के लिए मौत की सजा या आजीवन कारावास से दंडनीय बना दिया गया है, इसमें पैरोल की सुविधा भी नहीं रक्खी गयी है.
बीएनएस, भारतीय दंड संहिता, पहले से लागु 1860 के राजद्रोह प्रावधानों को निरस्त करता है जिसको भारतीय न्याय संहिता की धारा 152 से बदला गया है मुख्यता राष्ट्र की एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्यों पर ध्यान केंद्रित करने वाली सभी धाराएं इसमें जोड़ी गईं हैं.
(ii). महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध का जुड़ना
भारतीय न्याय संहिता में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले यौन अपराधों का एक नया प्रारूप जोड़ा गया है
18 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं के साथ बलात्कार से संबंधित मामलों में आजीवन कारावास या मौत की सजा का भी प्रावधान किया गया है जिसमे दोषी को कम से कम 10 साल की कठोर कारावास की सजा का प्रावधान है और इस सजा को आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है और साथ जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
वहीँ गैंगरेप के मामले में 20 साल की सजा या उम्रकैद की सजा का प्रावधान जोड़ा गया है इसके अलावा शादी का बहाना, नौकरी का झांसा और पहचान बदलकर महिलाओं का यौन शोषण करने को भी अपराध माना गया है।
(iii). मॉब लिंचिंग के लिए उम्रकैद या मौत की सजा
भारतीय न्याय संहिता में मॉब लिंचिंग और हेट क्राइम मर्डर के लिए आजीवन कारावास या मौत की सजा का भी प्रावधान किया गया है।
अगर पांच या अधिक लोगों की भीड़ “जाति, जाति या समुदाय, लिंग, जन्म स्थान, भाषा, व्यक्तिगत विश्वास या किसी अन्य समान आधार” के आधार पर हत्या करती है तो उसमे भी सजा का प्रावधान को विधेयक की धारा 103 में शामिल किया गया है
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया जिसके तहत अदालतों में प्रस्तुत और स्वीकार्य साक्ष्य में इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल रिकॉर्ड, कंप्यूटर, स्मार्टफोन, लैपटॉप, एसएमएस, वेबसाइट, ई-मेल और उपकरणों पर संदेश शामिल होंगे को भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) अधिनियम 2023, को भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की जगह लाया गया है।
कैसे डाउनलोड करें
NEW CRIMINAL LAWS निम्नलिखित लिंक से डाउनलोड कर सकते हैं
S. No | Criminal Laws Title | Links |
1 | THE BHARATIYA NAGARIK SURAKSHA SANHITA, 2023 | Link |
2 | THE BHARATIYA NYAYA SANHITA, 2023 | Link |
3 | THE BHARATIYA SAKSHYA ADHINIYAM, 2023 | Link |
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